
neither the creation of posts, nor the teachers appointed
Created on: 2020-10-04 05:23:43 | Author: Sanjeev Mishra | Home Page | Engineering
संजीव सिंह, रांची : तत्कालीन रघुवर सरकार ने वर्ष 2014-15 के बीच 650 करोड़ रुपये की लागत से चार सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज और आठ पॉलिटेक्निक कॉलेज भवन बनवाये थे. बिना योजना के बनवाये गये इन भवनों से छात्रों का भला तो नहीं हुआ, लेकिन इन्हें बनानेवाली निर्माण कंपनियां और उनसे जुड़े ठेकेदार मालामाल हो गये. मजे की बात यह है कि इन भवनों को बनकर तैयार हुए तीन से पांच वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन अब तक इन्हें सरकार को हैंडओवर नहीं किया गया है. उपयोग नहीं होने की वजह से उक्त भवन जर्जर होते जा रहे हैं. वहीं, विभागीय शिथिलता के कारण इन कॉलेजों में शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए अब तक पद सृजन की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हो पायी है. फिलहाल इनमें से कई भवनों का इस्तेमाल कोविड सेंटर के रूप में किया जा रहा है.
जानकारी के अनुसार, तत्कालीन सरकार ने चार इंजीनियरिंग कॉलेज कोडरमा, गोला, पलामू और जमशेदपुर में बनवाये थे. वहीं, आठ पॉलिटेक्निक कॉलेज खूंटी, लोहरदगा, चतरा, पलामू, हजारीबाग, बगोदर, गोड्डा व जामताड़ा में बनवाये गये थे. एक इंजीनियरिंग कॉलेज के भवन की निर्माण लागत लगभग 100 से 125 करोड़ रुपये और एक पॉलिटेक्निक कॉलेज के भवन की निर्माण लागत लगभग 25 से 30 करोड़ रुपये बतायी जा रही है. वहीं कई कॉलेजों का एस्टीमेट भी बढ़ता गया. हजारीबाग पॉलिटेक्निक कॉलेज का एस्टीमेट 28 करोड़ से बढ़कर 52 करोड़ रुपये हो गया. Courtesy.Prabhat Kabar,Ranchi
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