
Champa Bhatia's book 'Gita Yoga in Geeta' released
Created on: 2020-12-16 05:02:36 | Author: Team Sikshatoday | Home Page | News
रांची: रांची प्रेस क्लब सभागार में मंगलवार को चंपा भाटिया लिखित पुस्तक 'गीता में ज्ञान योग' का लोकार्पण बोकारो से पधारीं चिन्मय मिशन की आचार्य संयुक्तानंद सरस्वती, रांची चिन्मय मिशन के अध्यक्ष वी के गड्यान, पूर्व सूचना आयुक्त बैजनाथ मिश्र, स्वयं चंपा भाटिया, निरंकारी मिशन की प्रान्त प्रचारक ललिता कुमारी सूद, प्रभात प्रकाशन के राज्य प्रमुख राजेश शर्मा, समाजसेवी रोशनलाल भाटिया आदि ने किया।
इस मौके पर मुख्य अतिथि संयुक्तानंद नंद सरस्वती ने कहा
सनातन धर्म की धरोहर है। गीता शास्त्र नहीं, शस्त्र भी है। संसार रूपी माया वृक्ष को छेदकर हर संकट, हर द्वंद्व से मुक्ति पाने और परमात्मा से आत्मा के मिलन के लिए यह एकमात्र अस्त्र है। इसकी सहायता से संसार से अपने को मुक्त करा सकते हैं। इसलिए हर किसी की गीता का अध्ययन-मनन करना चाहिए। गीता एक तरह से उपनिषदों का सार है। इसमें कई श्लोक उपनिषद से हैं। गीता में सारी समस्याओं का समाधान है। संसार में ऐसी कोई समस्या नहीं है, जिसका समाधान गीता में नहींहो। यह शास्त्र और शस्त्र ही नहीं विज्ञान भी है। जीवन के जितने भी प्रश्न हैं, उन सब के समाधान इसमें हैं। यह मनगढ़ंत कहानी नहीं है। यह सभी के लिए और हर काल के लिए सही है। ऐसी कोई बात इसमें नहीं है जो हमारे अनुभव में नहीं आती हो। इसका अध्ययन हर व्यक्ति कर सकता है। इसके बारे में चिंतन करना चाहिए और जानना चाहिए। इस शास्त्र की व्याख्या करना सहज नहीं है। लेकिन चंपा भाटिया ने गागर में सागर भरा है। गीता हर युग और हर समय में उपयोगी है। यह कभी पुरानी नहीं होगी। महाभारत के समय अर्जुन के सामने समस्या और द्वंद्व था। आज भी हमारे सामने समस्या व द्वंद्व है। जबतक हमारे सामने द्वंद्व आता रहेगा, तबतक गीता उपयोगी बनी रहेगी। यह सभी धर्म, जाति और उम्र के लिए है। यह प्रत्येक समाज के लिए है। लोगों के हर प्रश्न का समाधान इसमें है। इसके सारे श्लोक जीवित हैं। इसे गायें और परमात्मा का स्मरण करें तथा समाधान मांगें।समाधान जरूर मिलेगा। हम मानव हैं तो हममें मानवता होनी चाहिए। मानवता,मोक्षऔर हमारे महापुरूषों का सानिध्य, ये तीनों ही दुर्लभ हैं। ईश्वरकी कृपा हो तभी ये मिलते हैं। केवल मनुष्य होना ही सबकुछ नहीं होता है। इसलिए जो लोग जितना संभव हो अपनी सामर्थ्य से समाज के लिए कुछ करें। चंपा भाटिया का यह प्रयास सराहनीय है।
लेखिका चंपा भाटिया ने कहा, यह मेरी पहली पुस्तक है। गीता को पचास साल पहले से पढ़ती आयी। बचपन से ही घर में माहौल मिला। तीन साल की उम्र से पिता के साथ सत्संग में जाती थी। इसके बारे में गहरायी से जानने का मन करता था। श्रीकृष्ण से ज्ञान के साथ कर्म और भक्ति भी जुड़ जाते हैं। इससे जीवन पूर्ण हो जाता है। बिना भक्ति के कर्म पूरा नहीं हो सकता है। गीता में 699 श्लोक हैं, जिनमें से इस पुस्तक में 130 श्लोक लिये गए हैं, जो ज्ञान योग से संबंधित हैं। ज्ञान के बारे में गीता में पूरी जानकारी है। मनुष्य जन्म परमात्मा को जानने के लिए मिला है। सिर्फ मनुष्य योनि में ही यह संभव है। यह मुक्ति पाने का साधन बन सकता है। सत्य सिर्फ परमात्मा है। इसको देखने के लिए आत्मा की आंखें ही जरूरी हैं। ज्ञान प्राप्त करने से ही मोक्ष की प्राप्ति होती है।परमात्मा के साथ योग कर लेने से दुख से मुक्त हो जाते हैं। सुख और शांति केवल परमात्मा के दर्शन में ही है।
अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व सूचना आयुक्त बैजनाथ मिश्र ने कहा
कृष्ण प्रेम से प्रकट होते हैं। प्रेम संगीतमय जीवन की गहरी चलती धारा है। इसमें दिव्य माधुर्य के अतिरिक्त कुछ नहीं दिखताहै। भक्त और भगवान एक हो जाते हैं तो वह प्रेम है। ज्ञान प्राप्त करना हैतो श्रद्धा होनी चाहिए। श्रद्धा हो, और एकाग्रचित्त होकर पूरी जिज्ञासा के साथ उसे प्राप्त करने की तत्परता हो तभी ज्ञान मिलता है। यही बात गीता सिखाती है। श्रीकृष्ण जैसे सद्गुरु का ज्ञान अर्जित करना है तो अर्जुन बनना पड़ेगा। ज्ञान प्राप्त करने के लिए पहले जिज्ञासा होनी चाहिए। किसी चीज को जानने की तड़प होनी चाहिए। अर्जुन में जिज्ञासा और श्रद्धा दोनोें थी। पूर्ण समर्पण भी था। तभी महाभारत के मैदान में अपार द्वंद्व से मुक्त होकर उनको ज्ञान प्राप्त हो सका। गुरु तीन तरह के होते हैं, पहला वैसे गुरु जो ज्ञानी तो होते हैं पर उनमें अभिव्यक्ति क्षमता कम होती है। दूसरे वैसे जिनमें अभिव्यक्ति क्षमता बढ़िया होती है पर जानकारी कम होती है। तीसरे वैसे गुरु होते हैं, जो अपने विषय का अध्ययन करते हैं, इस प्रकार उनको पूरी जानकारी होती है और उनकी अभिव्यक्ति क्षमता भी पुष्ट होती है। ऐसे गुरु ही सद्गुरु हैं। गुरु शिक्षा के साथ दीक्षा भी देते हैं। गीता का मूल है योग। योग यानी जुड़िये। चंपा भाटिया की यह पुस्तक लोगों को जुड़ने की राह दिखायेगी। गीता पर बार-बार लिखा, पढ़ा व समझा जाना चाहिए।
वीके गड्यान ने कहा, गंगाजी प्रभु के चरणों से निकली हैं, जबकि भगवदगीता प्रभु के कंठ से निकली है। कृष्ण ने रणक्षेत्र में गीता का ज्ञान अर्जुन को दिया। पांच हजार साल पहले जो बातें कही गयी थीं, उसका परिणाम आज भी मिल रहा है। हमारे मन में शंका, भ्रम, अवसाद है तो इसका समाधान गीता मेें है। महिलाएं भी ज्ञान की परंपरा को आगे बढ़ाने में योगदान करती आयी हैं। स्वागत प्रभात प्रकाशन रांची के प्रभारी राजेश शर्मा और धन्यवाद ज्ञापन लेखक-पत्रकार संजय कृष्ण ने किया। संचालन वेद प्रकाश बागला ने किया। कार्यक्रम में काफी लोग मौजूद थे।
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